नई शिक्षा नीति 2022 New Education Policy in hindi

नई शिक्षा नीति क्या है 2022 (नियम, कब लागू होगी, बदलाव) (New Education Policy in hindi, Shiksha Niti)

देश में बच्चों की शिक्षा के लिए नीति बनाई जाती है, यह नीति का निर्धारण देश की केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाता है. जो देश की आने वाली दशा एवं दिशा दोनों को तय करते हैं. शिक्षा नीति में हर 10 से 15 साल बाद बदलाव किये जाने चाहिए. लेकिन आजादी के बाद से अब तक केवल 3 बार शिक्षा नीति में संशोधन किये गये हैं. इस साल लागू हुई नई शिक्षा नीति में 34 साल का लम्बा समय लग गया. हालांकि बीजेपी सरकार ने नई शिक्षा नीति लाने के वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी किये थे. और अब जाकर देश को एक नई शिक्षा नीति मिल गई हैं लेकिन इस साल इसमें किये गये संशोधन का काफी ज्यादा विरोध भी हो रहा हैं. इस लेख में आपको शिक्षा नीति क्या हैं, क्या इसमें संशोधन हुआ हैं और क्यों इसमें विरोध हो रहा हैं यह सब जानकारी मिल जाएगी. 

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शिक्षा नीति क्या है   

जैसे कि हमने आपको ऊपर बताया कि शिक्षा नीति बच्चों की शिक्षा के लिए बनाई जाती हैं जिसे केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाता हैं. इसके अंतर्गत शिक्षा की व्यवस्था की जाती हैं जोकि एक तरह के पैटर्न के अनुसार पूरे देश में लागू होती है. इसलिए इसे शिक्षा नीति नाम दिया गया है. देश अब तक केवल 3 बार शिक्षा नीति बदली गई है.

पीएम ई – विद्या प्रोग्राम के तहत पहली से बारहवीं तक की क्लास के लिए अलग टीवी चैनल बनाये गये हैं.

नई शिक्षा नीति क्या है

इस साल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू हुई नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 है. इसमें 5 का अर्थ है तीन साल तक प्राइमरी स्कूल और उसके बाद दो साल कक्षा 1 और कक्षा 2, इसके बाद 3 का अर्थ है कक्षा 3, 4 व 5. फिर अगले 3 का अर्थ हैं कक्षा 6, 7 और 8 और अंत में 4 का मतलब है 9, 10, 11 एवं 12.

इस शिक्षा नीति के अनुसार अब बच्चे 6 साल की उम्र से पहले यानि 3 साल की उम्र में ही फॉर्मल स्कूल में पढ़ाई करने लगेंगे. इसका अर्थ यह है कि बच्चे जब 2 से 3 साल के होते हैं तो उन्हें उनके माता – पिता प्ले स्कूल में भेजते हैं. वह स्कूल की पढ़ाई का हिस्सा नहीं होता था, किन्तु अब वह भी स्कूली पढ़ाई का हिस्सा बन जायेगा. इस संशोधन से शिक्षा नीति में राईट टू एजुकेशन बढ़ेगा. अब तक 6 से 14 साल के बच्चे के लिए आईटी था, अब यह 6 से 18 साल तक के बच्चों के लिए हो गया है. सरकार द्वारा किये गये संशोधन केवल सरकारी स्कूलों के लिए ही नहीं बल्कि प्राइवेट स्कूलों के लिए भी है. इस शिक्षा नीति के लिए सरकार ने सन 2030 तक का टारगेट सेट किया है. और इस शिक्षा नीति को आने वाले 1 से 2 सालों में लागू किया जायेगा.

3 भाषा का फ़ॉर्मूला

स्कूली शिक्षा में एक सबसे महत्वपूर्ण बात हैं भाषा की. इस साल केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई शिक्षा नीति के तहत 3 भाषा के फ़ॉर्मूले की बात कहीं जा रही हैं. इसमें यह कहा गया हैं कि 5 वीं तक की कक्षा के बच्चों को मातृभाषा में पढाई करवाया जायेगा. और साथ ही यह कहा गया हैं कि यदि संभव होता हैं तो इसे 8 वीं कक्षा तक के लिए जारी भी रखा जा सकता है. इसके आलवा संस्कृत के साथ ही तमिल, तेलुगु एवं कन्नड़ जैसी भारत की अन्य भाषाओँ में पढ़ाई करने का भी निर्णय लिया गया है. सेकेंडरी सेक्शन के लिए विदेशी भाषा का चुनाव करके उसे भी विकल्प में शामिल कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री मुफ्त शिक्षा योजना उत्तरप्रदेश के तहत छात्र 12 वीं तक मुफ्त में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे.

शिक्षा नीति के तहत हो रहा विरोध

देश में भाषा को लेकर काफी विरोध भी हो रहा है. तमिल सरकार का कहना है कि तमिल का कोई बच्चा दिल्ली में जाकर हिंदी में पढ़ाई कैसे करेगा. जबकि केंद्र सरकार की शिक्षा नीति के अनुसार ऐसा कहीं नहीं लिखा गया है कि राज्य सरकारों को 3 भाषा फ़ॉर्मूला को अपनाना ही होगा, और ऐसा भी नहीं है कि बच्चे अंग्रेजी नहीं पढ़ेंगे. इसमें सरकार का केवल यह कहना है कि जिन 3 भाषा का चयन किया जायेगा, उनमें से 2 भाषा भारतीय मूल की होनी चाहिए. यदि पुस्तकें उपलब्ध नहीं है तो उसे छपवाने का कार्य की जल्द से जल्द किया जाना चाहिये.

बोर्ड एग्जाम

इस नई शिक्षा नीति में बोर्ड एग्जाम के तरीके पर भी बदलाव किये गये हैं. नई शिक्षा नीति के तहत बोर्ड एग्जाम 2 बार लिए जायेंगे, इन परीक्षाओं को पास करने के लिए कोचिंग की भी आवश्यकता नहीं है. इसका तो पूरा स्वरुप ही बदल गया हैं. अब छात्रों की याददाश्त के स्थान पर क्षमताओं का आंकलन किया जाना है. इससे इस बात का कोई मतलब नहीं होगा कि बच्चे को नंबर कितने मिल रहे हैं. हालांकि शिक्षा नीति का यह नियम 2 साल बाद देश में लागू होगा. इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं के अतिरिक्त कक्षा 3, 5 और 8 की भी परीक्षाएं ली जाएगी. इन सभी परीक्षाओं का संचालन एवं गाइडलाइन बनाने के लिए नई एजेंसी बनाई जाएगी, जोकि शिक्षा मंत्रालय के अंडर में काम करेगी.

मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री जनकल्याण शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत श्रमिकों के बच्चों को मुफ्त में दाखिला मिलेगा.

आईआईटी और नीट की परीक्षा में बदलाव

ग्रेजुएशन से पहले किये जाने वाले कोर्स जैसे कि नीट आदि की परीक्षाओं के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से बात की गई हैं, साथ ही ओलिंपियार्ड परीक्षाओं के बारे में भी चर्चा हुई है जो राष्ट्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं रीज़नल स्तर पर आयोजित की जाती हैं. आईआईटी में दाखिला लेने के लिए इन परीक्षाओं को आधार बनाया जाने वाला है. इसी तरह से मेडिकल कोर्स में भी कुछ बदलाव किये जा सकते हैं. किसी विशेष की पढ़ाई के लिए कोई नई यूनिवर्सिटी का निर्माण अब नहीं किया जायेगा. अब से जिनती भी यूनिवर्सिटी हैं उन सभी में सभी स्ट्रीम की पढ़ाई कराई जाएगी. इसके लिए एक्रीडिशन पालिसी बनाने का भी विचार किया गया है.

अंडर ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएशन में हुए बदलाव

ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए भी शिक्षा नीति में कुछ बदलाव किये गये हैं. अब ग्रेजुएशन का कोर्स पूरा करने में छात्रों को 4 साल का समय लगेगा, हालांकि कोई छात्र यदि बीच में यह छोड़ना चाहता है तो वह कर सकता है. यदि कोई छात्र पहले साल पूरा करने के बाद कोर्स बीच में छोड़ देता है, तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाता हैं, और यदि वह दूसरे साल के बाद छोड़ता है तो उसे एडवांस सर्टिफिकेट दिया जाता है. तीसरा साल पूरा होने पर डिग्री मिल जाएगी. और जब चौथा साल पूरा होगा तो डिग्री तो मिलेगी ही, साथ में शोध के साथ मिलेगी.

दिल्ली स्कॉलरशिप योजना के लिए छात्र आवेदन ऐसे करें.

इसी जगह पर पोस्ट ग्रेजुएशन में भी छात्रों के लिए कुछ विकल्प होंगे. पहला विकल्प यह है कि पोस्ट ग्रेजुएशन में पहले 2 साल का मास्टर्स होगा, लेकिन उसके लिए 3 साल का डिग्री कोर्स करना अनिवार्य होगा. दूसरा यह कि एक साल का मास्टर्स वे अलग से कर सकते हैं लेकिन इसके लिए चार साल का डिग्री शोध होना अनिवार्य है. इसके बाद इसमें तीसरा विकल्प भी दिया गया हैं जोकि 5 साल का इंटीग्रेटेड प्रोग्राम हैं, इसमें ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनों एक में ही शामिल होता है. इसके अलावा पीएचडी के लिए भी चार साल की डिग्री शोध के होना अनिवार्य होगा. इस नई शिक्षा नीति में एमफिल को बंद कर दिया जाने वाला है.

ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन जैसी उच्च शिक्षा में छात्रवृत्ति के लिए भी प्रावधान है. इसमें नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल का और अधिक विस्तार किया जाने वाला है. उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली प्राइवेट संस्थानों को अपने 50 फीसदी बच्चों को 25 से 100 फीसदी तक की छात्रवृत्ति प्रदान करनी होगी. इन सभी संस्थानों को हायर एजुकेशन ग्रांट कमीशन की ओर से बच्चों को छात्रवृत्ति देने के लिए पैसे दिए जायेंगे. इसके अलावा अलग – अलग विभाग मिलकर इन सभी संस्थानों के लिए नियम, कानून एवं गाइडलाइन निर्धारित करेंगे.

विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना मध्यप्रदेश के तहत 50 छात्र लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

इस तरह से देश में जल्द ही लागू होगी केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति. जिसमें काफी सारे बदलाव किये गये हैं. इस शिक्षा नीति से देश का आने वाला भविष्य उज्जवल हो सकता है.

FAQ

Q : शिक्षा नीति का अर्थ क्या है ?

Ans : बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था के लिए एक पैटर्न निर्धारित करना.  

Q : शिक्षा नीति में नए बदलाव क्या हुए हैं ?

Ans : 5+3+3+4.

Q : शिक्षा नीति कब लागू हुई ?

Ans : सन 1986 से.

Q : शिक्षा नीति के नए नियम क्या है ?

Ans : 3 भाषा फ़ॉर्मूला.

Q : शिक्षा नीति 1986 क्या है ?

Ans : 10+2+3.

Q : नई शिक्षा नीति 2020 कब से लागू होगी ?

Ans : इसकी अभी घोषणा की गई है इसे अगले साल से लागू किया जा सकता है.

Q : शिक्षा नीति 2020 क्या है ?

Ans : इस साल शिक्षा नीति में कुछ संशोधन कर कुछ घोषणायें की गई है. इसलिए इसे शिक्षा नीति 2020 कहा जा रहा है. 

Q : नई शिक्षा नीति 2019 क्या है ?

Ans : पहुंच, समानता, क्वालिटी, वहन करने योग्य, जवाबदेही आदि चुनौतियों को पूरा करने के लक्ष्य के साथ बनाई गई है.

Q : शिक्षा नीति का इतिहास क्या है ?

Ans : सन 1986 में पहली बार शिक्षा नीति बनाई गई थी.

Q : शिक्षा नीति कब से लागू होगी ?

Ans : साल 2021 – 22 से हो सकती है.

Q : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अध्यक्ष कौन थे ?

Ans : कृष्णस्वामी कस्तुरीरंगन.

Q : राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा कब हुई थी ?

Ans : सन 1985 में.

Q : नई शिक्षा नीति के अध्यक्ष कौन है ?

Ans : टीएसआर सुब्रमणयम.

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